दर्द लिखने में
(गज़ल)
दर्द लिखने में मज़ा है जो मुहब्बत में नहीं
लुफ्त जो प्यार में मिलता है सियासत में नहीं
ये तो दुनिया का तमाशा है भरोसा देना
प्यार पलकों पे बिछाती हूँ शरारत में नहीं
तुम मुझे देख रहे हो जो किसी महफ़िल में
मेरी जुल्फों में घटा है वो नज़ाकत में नहीं
मैं तो तनहा ही निकल पड़ती हूँ मंज़िल खातिर
तेरे दामन से लिपट जाऊँ ये आदत में नहीं
मैं तुम्हें रोज़ लिखा करती हूँ ख़त आँसू से
फ़िक्र कागज़ पे किया करती हूँ नफरत में नहीं
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उषा तिवारी (विष्णु देवी तिवारी)
चितवन (नेपाल)
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वाह बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय🙏🙏🙏
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