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Tuesday, 26 November 2019

क्या जवाब दोगे (कविता) - चंद्रमोहन किस्कू

क्या जवाब दोगे
(कविता)
निश्चित करने ही होंगे
ख़त्म करने ही होंगे
और कितने दिन चलेगा यह ?
मेरे हरे - भरे देश में
मेरे पहाड़ - पर्वतों में
जीवंत नदी ,ठण्डी झरने में
मेरी माँ की छाती में
बुरे विचार की खेती .


कटे हुए हरे पेड़
कटे हुए मनुष्य के
देह और सर
गिनने होंगे मुझे
और कितने दिन ?
इधर भी मेरा ही छाती
उधर भी मेरा ही छाती
दूसरों के बहकावे में
दानवों की इच्छा से
मुझे मरना होगा और कितने दिन ?
वोट की खेल
नेता,दिल्ली और राँची
तुम्हारा झूठा विकास
दो रुपये किलो चावल
बिना मस्टरवाले स्कूल
बिना डॉक्टर और दवाई के
अस्पताल
तुम्हारा पक्की सड़क का बहाना
तुम्हारा ऊँची हो रहे अट्टालिका
मुझे जरुरत ही नहीं है .


इतिहास की वह घटना
पुनर्घटित होगा और कितने बार ?
राजा- राजाओं के लड़ाई में
सिपाही और आम जनताओं के सर
गिरेगा और कितने दिन
वोट के आश्चर्यजनक खेल में
हम पिसेंगे और कितने दिन ?


युवा एक दिन जागेंगे
तर्जनी दिखाकर पूछेंगे
ऐसा और कितने दिन
ऐसा चलेगा नहीं
नहीं चलेगा ,नहीं चलेगा
तब तुम उन्हें क्या जवाब दोगे?
-०-
पता -
चंद्रमोहन किस्कू
पूर्वी सिंहभूम (झारखण्ड)

-०-

***
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2 comments:

  1. अतिसुन्दर भावाभिव्यक्ति । बधाई ।

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  2. सच्चाइई को दर्शा रही है कविता, सुन्दर रचना के लिये आँप को बहुत बहुत बधाई है।

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