विधाता
(छन्द गीत)
सजी बारात दीपों की ,अनोखी रात आयी है ।
करे मन,प्राण को रौशन, मधुर सौगात लायी है।
सजाती घर रँगोली से ,धरे मुस्कान गालों में ।
खिली दहलीज फूलों से ,भरी लज्जत निवालों में।
सजी महफ़िल ठहाकों से ,हसीं बिन बात आई है ।
करे मन,प्राण को रौशन, मधुर सौगात लायी है।
बड़ी अनमोल घड़ियां हैं ,बड़े अद्भुत नजारें हैं ।
पगे है प्रीत में अँगना ,हुए जगमग चुबारे हैं ।
सजाती घर रँगोली से ,धरे मुस्कान गालों में ।
खिली दहलीज फूलों से ,भरी लज्जत निवालों में।
सजी महफ़िल ठहाकों से ,हसीं बिन बात आई है ।
करे मन,प्राण को रौशन, मधुर सौगात लायी है।
बड़ी अनमोल घड़ियां हैं ,बड़े अद्भुत नजारें हैं ।
पगे है प्रीत में अँगना ,हुए जगमग चुबारे हैं ।
अमावस रात में लक्ष्मी,गणेशा साथ आयी हैं ।
करे मन,प्राण को रौशन, मधुर सौगात लायी है।
लताएं झूमती गाती,सितारों से भरी रातें।
छनकती पाँव में पायल,नयन से कर रही बातें ।
करे मन,प्राण को रौशन, मधुर सौगात लायी है।
लताएं झूमती गाती,सितारों से भरी रातें।
छनकती पाँव में पायल,नयन से कर रही बातें ।
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