शब्द की माला
(कविता)
श्रृंगार है शब्द की माला
कविता कामिनी का।
उपहार है वह भाव भरे ह्रदय का,
काव्य प्रेमियों का।
भाव के मोती ज्यों- ज्यों पिरोए जाते,
कविता का पथ त्यों-त्यों हैं बढ़ाते।
नदी, पर्वत ,झील पहुंचाते,
तो कभी समाज ,राजनीति ,धर्म निभाते।
प्रकार शब्दों का ,आकार शब्दों का
अनूठा होता है संसार शब्दों का।
कभी इस संसार से कविता गढ़ता है,
एकता की ताकत का चित्र उभरता है।
रवि न पहुंचे वहां कवि को पहुंचाती है,
शब्द की माला कमाल दिखाती है।
पता:
कविता कामिनी का।
उपहार है वह भाव भरे ह्रदय का,
काव्य प्रेमियों का।
भाव के मोती ज्यों- ज्यों पिरोए जाते,
कविता का पथ त्यों-त्यों हैं बढ़ाते।
नदी, पर्वत ,झील पहुंचाते,
तो कभी समाज ,राजनीति ,धर्म निभाते।
प्रकार शब्दों का ,आकार शब्दों का
अनूठा होता है संसार शब्दों का।
कभी इस संसार से कविता गढ़ता है,
एकता की ताकत का चित्र उभरता है।
रवि न पहुंचे वहां कवि को पहुंचाती है,
शब्द की माला कमाल दिखाती है।
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