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Wednesday, 18 December 2019

अशोक आनन के हाइकु (हाइकु) - अशोक 'आनन'


अशोक आनन के हाइकु
(हाइकु)
भींगी पलकें
कुलबुलाती आंतें
आम आदमी ।
*****
देख घटाएं 
थर - थर कांपते
घर माटी के ।
*****
नहीं चीन्हते
देहरी- दरवाजे 
बीच दीवारें ।

****
रात सर्दीली
हाथ - पांव रजाई 
घर स्वप्न 
*****
आंखें सावन
ये ज़माना है रेत
पेट सिगड़ी ।
*****
प्रयास व्यर्थ
बिखरना नियति
जीवन पारा ।
*****
नभ रजाई
फुटपाथ गुदड़ी
जीवन पौष ।
*****
नभ सितारे
नून , तेल , लकड़ी
ग़रीब बौने ।
*****
चुभें गले में
पीड़ा असहनीय
संबंध फांस ।
-०-
पता:
अशोक 'आनन'
शाजापुर (म.प्र.)

-०-




***
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