बचपन
(कविता)
हँसी ठिठोली मौज मस्ती।
बचपन के ये लक्षण हैं जी।।
चिन्ता रहित खेलना खाना।
और स्वच्छन्द विचरना जी।।
माँ की गोदी में मुस्कराना
पापा के कंधे पर रहना जी।।
रुमाल झपट्टा कुर्सी दौड़ में।
सदा ही अव्वल आते जी।।
बैर द्वेष से दूर ही रहना।
सबसे मिलकर रहना जी।।
केवल खेल खिलौने लाते।
मेले ठेले में जब जाते जी।।
रंग बिरंगी पतंग उड़ाते।
पेंच काट कर हँसते जी।।
कागज़ की कश्ती लेकर।
पानी मे उसे तैराते जी।।
कैरम की गोटी जीतना।
और खुशियां मनाते जी।।
राजा मन्त्री चोर सिपाही।
खेल खेल में बन जाते जी।।
मेले ठेले में जब जाते जी।।
रंग बिरंगी पतंग उड़ाते।
पेंच काट कर हँसते जी।।
कागज़ की कश्ती लेकर।
पानी मे उसे तैराते जी।।
कैरम की गोटी जीतना।
और खुशियां मनाते जी।।
राजा मन्त्री चोर सिपाही।
खेल खेल में बन जाते जी।।
मोबाइल पर खेल खेलना।
बाहर घर से न जाना जी।।
बाहर घर से न जाना जी।।
-०-
राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
कवि,साहित्यकार
झालावाड़ (राजस्थान)
झालावाड़ (राजस्थान)
-०-
मनमोहक बाल कविता
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