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Wednesday 4 December 2019

राम पर कविता के बहाने (आलेख) - अमित खरे

राम पर कविता के बहाने
(आलेख)
आप मेरी बात को सबसे पहले पढ़ें , समझें ,
और फिर इस बात का परीक्षण करें कि मै सही हूँ या गलत । अगर सहमत हों तो इस को कहीं आगे बढ़ाएं ।
अन्यथा मै पहले भी खुश था अभी भी खुश हूँ ।
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमे अनामिका अम्बर प्रभु श्री राम पर एक कविता का वाचन कर रहीं हैं ।
प्रभु श्री राम ने जाने कितने कण्ठों को अपनी स्तुति गान करने के लिए चुना है । फिर चाहे महाऋषि बाल्मीकि हों , तुलसी दास जी हों, निराला जी हों , मैथली शरण गुप्त हों जाने कितने कितनों ने राम की महिमा गान करके खुद की श्री वृद्धिकी है । जिन जिन को प्रभु श्रीराम ने चुना है वे भाग्यवान हैं । उन्हें बधाई ।
राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त जी कहते हैं
"राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है
कोई कवि हो जाए सहज सम्भाव्य है "।
राष्ट्र कवि मैथली शरण गुप्त जी के अनुसार
राम सबके हैं । हर कलम साधक को राम पर अधिकार है ।
एक तर्क यह भी है कि "प्रभु श्री राम पर कुछ भी लिखा जाए वह तुलसी दास जी का पुनर्वाचन ही होगा "। यह तर्क कहीं न कहीं राम पर लिखे में साम्य और रचनाकार पर लगने वाले चोरी के आरोप के बचाव में एक दलील मात्र है ।सबका अपना तेवर होता है जो रचनाकारों को एक दूसरे से पृथक करता है ।
लेकिन इस बात पर भी विमर्श होना चाहिए कि किसने क्या लिखा कैसा लिखा क्यों लिखा ।
मै कुछ कहना चाहता हूँ ।
पिछले दिनों जो वीडियो वायरल हुआ उससे मुख्य रूप से तीन किरदारों की चर्चा आई जिसमे डॉ हरीओम पँवार मेरठ , श्री कमलेश शर्मा इटावा , एवं अनामिका अम्बर मेरठ ।
मै तीनों के विषय में बात रखने की कोशिश करूँगा ।
सबसे पहले डॉ हरीओम पँवार की कविता की बात डॉ पँवार की कविता एक लंबी कविता है । जिसे वो चीख चीख कर पढ़ते हैं ।
इसमे उन्होंने रामकथा से जुड़े प्रसंग लिए हैं , राम कथा से जुड़ीं घटनाएं लीं है । किरदार वही रहेंगे । घटनाएं वही रहेंगी । सबका कहने का अपना तरीका होता है । सबका अपना शिल्प होता है जो रचना में झलकता है ।
अब कमलेश शर्मा जी के गीत पर बात करते हैं । "राम हुए हैं कितने और प्रमाण दें " गीत मै ने कई बार समक्ष में सुना है । वो इसे गाकर पढ़ते हैं । चीखने में और गाने में फर्क होता है और यह गीत विशुद्ध कविता है ।
ह्रदय पटल पर अपने आप अंकित होने वाला गीत है ।
राम कथा के संदर्भ , पात्र , घटनाएं इसमें सबसे बेहतर तरीके से उल्लेखित की गईं हैं ।
ताजा मामले में कमलेश जी का गीत सर्वश्रेष्ठ है । यह मेरी निजी राय है । मुझे यह कहने में कोई संकोच नही है ।
अब अनामिका अम्बर - कविता के अवमूल्यन के सन्दर्भों में चर्चित वायरल वीडियो में राम प्रभु पर कविता हो रही है यह तो पता चल रहा है । किसकी कविता हो रही है पता नही चल रहा है ।
कहीं कहीं यह लगता है कि डॉ हरीओम पँवार के शब्दों को पर्यायवाची के रूप में रख दिया हो ।
कहीं कमलेश जी के गीत की मिट्टी उठा ली हो ।
चलो उठा भी लो तो आपका कोई साँचा भी नही है जिसमे आप पँवार जी या कमलेश जी की मिट्टी उठा कर सही आकृति दे पाएं । मै इसे कविता नही मानता हूँ। मुझे कोई संकोच नही है ।
मेरे विचार से तीनों रचनाओं को एक कागज पर लिखकर विश्लेषण होना चाहिए । पत्र पत्रिकाएं इस विषय पर छापकर चर्चा खड़ी करें । तो और सही होगा ।
और अंत में मै श्रोताओं से , पाठकों से , समीक्षकों से , आलोचकों से यह पश्न करता हूँ कि वे तय करें कि ये उचित है , अनुचित है , चोरी है , महाजनी है क्या है ।
तय हो ।
दिनकर जी की अदालत से
समर शेष है नही पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनके भी अपराध ।
जय जय
-०-
अमित खरे 
दतिया (मध्य प्रदेश)
-०-




***
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