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Saturday, 25 January 2020

सुभाषचन्द्र बोस (कविता) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'




सुभाषचन्द्र बोस
(कविता)
राष्ट्र सुरक्षित और सुखी हो,
इस हेतु जो खार बने।
हो किरदार सुभाष का जिसमें ,
अपना पहरेदार बने ।।

युद्ध घोष 'जय हिन्द" रहा,
ऐ लोगों जिसका जीवन में ।
लासानी जो सेना नायक,
रहा विश्व के आंगन में ।।
रही भूमिका क्रांतिकारी ,
जिसकी युग परिवर्तन में ।
नहीं मारा है, वो सुभाष,
जिन्दा हर एक युवा मन में ।।
ऐसे देशभक्त रहबर का,
सचमुच जो अवतार बने ।
हो किरदार सुभाष का जिसमें,
अपना पहरेदार बने ।।

आजादी पे मरने वाले ,
परवानों से प्यार करे ।
खून के बदले आजादी पाई,
सच ये स्वीकार करे।।
हाथ उठा पदवी लेने ,
वालों पर अपना वार करे।
भ्रस्ट व्यवस्था देख जिसे,
थर्राए हाहाकार करे।।
स्वाधीनता प्यारी जिसको,
पराधीनता भार बने ।
हो किरदार सुभाष का जिसमें,
अपना पहरेदार बने ।।

जहां कहीं भी रहे सदा,
मन में माता का ध्यान रहे।
सोते जगते जिसके ख्वाबों,
में बस देश प्रधान रहे ।।
हो न्योछावर तन मन धन से,
जननी की जो शान रहे।
दिल में दर्द रहे अपनों का,
अपनों पर कुर्बान रहे।।
वो "अनंत" अपना नेता हो,
अपना वो सरदार बने ।
हो किरदार सुभाष का जिसमें ,
अपना पहरेदार बने ।। -0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
-०-

***
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