मिट्टी में मिल जानी है
(कविता)
मिट्टी की काया को इक दिन
मिट्टी में मिल जानी है !
मर जायें ना लगने देंगे
माँ तेरे आंचल पे दाग ,
तेरे दामन से निकली
मेरी हर एक कहानी है !
मिट्टी की काया को इक दिन
मिट्टी में मिल जानी है !
घर-घर आग लगाने वाले
देशद्रोहियों सुन लो तुम !
सब्र-बंध टूटे ना अपना ,
उससे पहले गुन लो तुम!
शान तिरंगे की रखना
वीरों की अमिट निशानी है !
मिट्टी की काया को इक दिन
मिट्टी में मिल जानी है !
जर्रा - जर्रा पूछ रहा है
हमसे उस जननी का दर्द ,
हया नहीं तेरी आँखों में
बस पानी ही पानी है !
मिट्टी की काया को इक दिन
मिट्टी में मिल जानी है !
बाँध राखियाँ हाथों में बहनों का
दिल भर आया था ,
जो सीमा पर खून बहा माता का
कर्ज चुकाया था ,
लाल लहू से सींचा जिसने
यह धरती वीरानी है !
मिट्टी की काया को इक दिन
मिट्टी में मिल जानी है !
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अच्छी कविता है , शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteअच्छी कविता है , शुभकामनाएं ।
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