दास्तान भारत की
(ग़ज़ल)
कुल जमा दास्तान भारत की
सोच ज़िंदा है और ताज़ादम
नौ'जवां है कमान भारत की
देश का ही नमक मिरे भीतर
बोलता हूँ ज़बान भारत की
क़द्र करता है सबकी हिन्दोस्तां
पीढियाँ हैं महान भारत की
सुर्खरू आज तक है दुनिया में
आन-बान और शान भारत की-०-
पता:
महावीर उत्तराँचली
-०-
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