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Thursday, 30 January 2020

दो शख़्स के बीच (ग़ज़ल) - टेकनारायण रिमाल 'कौशिक'

दो शख़्स के बीच
(ग़ज़ल)
हर दो शख़्स के बीच खड़ा हथियार है क्या कीजिएगा!
जब ये अख्खा शहर पड़ा बीमार है क्या कीजिएगा!

अमन चैन की बातें तो सोचिएगा नहीं यहाँ कभी
आपस में ही इंसाँ लड़ा बार बार है क्या कीजिएगा!

ख़ुदगर्ज़ हो गए हैं लोग भरोसा किस पर करें!
दिखावा ही दिखावा बस सड़ा प्यार है क्या कीजिएगा!
कोई मुस्कुराता है तो जैसे रोबोट मुस्कुरा रहा हो
बेवफ़ाई की ओर बढ़ा ऐतबार है क्या कीजिएगा!

आँखों में नफ़रत की आग है आज अक्सर लोगों की
ज़िद बन मय का अड़ा ख़ुमार है क्या कीजिएगा!
-०-
पता:
टेकनारायण रिमाल 'कौशिक'
यांगून(बर्मा)
-०-


***
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