नव वर्ष
(कविता)
मैली चादर
कंधे पर डाल
पीठ पर गठरी
बीती बातों की
कुछ मीठी सी यादें
कुछ कड़ुवे से अर्ष
विदा ले रहा
विगत वर्ष ।
नव विहान
अभिनन्दन है
नव वर्ष है आया
फैला प्रकाश
जन जन हर्षाया
गीत मंगल गाया
नव पुष्प खिले
कुसुमित है मन ।
नव विहग
अभिवादन है
नई प्रेरणा लाया
करें संकल्प
कुछ नया करें
उदास चेहरों की
हँसी लौटाऐं
निराश मनों में
आशा जगाऐं
हर्षित है मन ।
नवीन सोच
नव वर्ष है लाया
ज्ञान दीप जला
भटके हुए राही को
नई राह दिखाऐं
करें शुभ कामना
उल्लसित है मन ।
पीठ पर गठरी
बीती बातों की
कुछ मीठी सी यादें
कुछ कड़ुवे से अर्ष
विदा ले रहा
विगत वर्ष ।
नव विहान
अभिनन्दन है
नव वर्ष है आया
फैला प्रकाश
जन जन हर्षाया
गीत मंगल गाया
नव पुष्प खिले
कुसुमित है मन ।
नव विहग
अभिवादन है
नई प्रेरणा लाया
करें संकल्प
कुछ नया करें
उदास चेहरों की
हँसी लौटाऐं
निराश मनों में
आशा जगाऐं
हर्षित है मन ।
नवीन सोच
नव वर्ष है लाया
ज्ञान दीप जला
भटके हुए राही को
नई राह दिखाऐं
करें शुभ कामना
उल्लसित है मन ।
-०-
पता:
पता:
रेणु चन्द्रा माथुर
जयपुर (राजस्थान)
जयपुर (राजस्थान)
-०-
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