कैसा साल है बदला
(कविता)
न परिंदों में कोई आहट,
न फसलों की कहीं आमद,
न मौसम में ही कुछ बदला,
न मौसम में ही कुछ बदला,
ये कैसा साल है बदला?
न इन्सानी बढे रिश्ते,
न इन्सानी बढे रिश्ते,
न मानवता कहीं तडफी,
नही इन्सां कहीं बदला,
नही इन्सां कहीं बदला,
ये कैसा साल है बदला?
न सूरज में बढी गर्मी,
न सूरज में बढी गर्मी,
न सर्दी में कहीं नरमी,
न कोहरे ने ही रंग बदला,
न कोहरे ने ही रंग बदला,
ये कैसा साल है बदला?
न पेडों से झडे पत्ते,
न पेडों से झडे पत्ते,
बसन्त अब तक नही आया,
न फसलों का ही रंग बदला,
न फसलों का ही रंग बदला,
ये कैसा साल है बदला?
दिन भी वही, तारीख वही,
दिन भी वही, तारीख वही,
महीने भी वही रहते,
समय भी तो नही बदला,
समय भी तो नही बदला,
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