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Friday, 31 January 2020

‘जन्मदिन तुम्हारा' (कविता) - रेशमा त्रिपाठी

‘जन्मदिन तुम्हारा' 
(कविता)
“ जन्मदिन हैं तुम्हारा, यह मेरा पैगाम हैं तुमको
जीना जिंदगी अपनी, सब कुछ भूल कर के तुम ।

अपने अरमानों को पूरा करना, हौंसलों से तुम
सब कुछ भूल करके, एक नई शुरुआत करना तुम ।

अनुभव के ज्ञान से , निष्कर्ष पर पहुँचना तुम
ज़िन्दगी का हर एहसास अपनी दृष्टि /दृष्टिकोण से देखना तुम ।


ओंस की बूंदों के जैसें, तुम ही गिरना ,तुम संभालना,
अपनी ही चेतना से तुमसब कुछ भूल कर के एक नई शुरुआत करना तुम ।

अब तक जो बितायी ज़िन्दगी, उसे याद रखना तुम
किन्तु खुद को मत मिटाना, यह सदैव याद रखना तुम ।

किसी के यादों में ,बातों में, नजरों में, अब उठने की कोशिश मत करना तुम
छोड़ दो रूठना, मनाना, जताना, अग्नि परीक्षा देना तुम ।

ज़िन्दगी एक सफर हैं ,अब किसी के लिए रुकना नहीं तुम
सब कुछ भूल कर, एक नई शुरुआत करना तुम ।

जन्मदिन तुम्हारा हैं यह मेरा पैंगाम हैं तुमको
जीना ज़िन्दगी अपनी, सब कुछ भूल कर के तुम ।
-०-
रेशमा त्रिपाठी
प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)

-०-

***
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1 comment:

  1. अंजलि गोयल31 January 2020 at 22:43

    सुन्दर संदेशात्मक रचना

    ReplyDelete

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