जेब बहुत ही भारी है
(ग़ज़ल)
जेब बहुत ही भारी है,
सख्त बड़ा अधिकारी है।
मोबाइल से चुपकी है,
सारी दुनिया-दारी है।
अच्छे दिन की बात,अरे
भैया जी अखबारी है।
देख सियासी रुतबे को,
चोर बना दरबारी है।
फाइल घूम रही है जो,
लगता वो सरकारी है।
देखो आज अदालत में,
न्याय हुआ बाजारी है।
पैसा-पैसा करते सब
जाने क्या बीमारी है।
-०-
पता:
मृदुल कुमार सिंह
(ग़ज़ल)
जेब बहुत ही भारी है,
सख्त बड़ा अधिकारी है।
मोबाइल से चुपकी है,
सारी दुनिया-दारी है।
अच्छे दिन की बात,अरे
भैया जी अखबारी है।
देख सियासी रुतबे को,
चोर बना दरबारी है।
फाइल घूम रही है जो,
लगता वो सरकारी है।
देखो आज अदालत में,
न्याय हुआ बाजारी है।
पैसा-पैसा करते सब
जाने क्या बीमारी है।
-०-
पता:
मृदुल कुमार सिंह
बहुत खूब।
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