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Tuesday 14 January 2020

जेब बहुत ही भारी है (ग़ज़ल) - मृदुल कुमार सिंह

जेब बहुत ही भारी है
(ग़ज़ल)
जेब बहुत ही भारी है,
सख्त बड़ा अधिकारी है।

मोबाइल से चुपकी है,
सारी दुनिया-दारी है।

अच्छे दिन की बात,अरे
भैया जी अखबारी है।

देख सियासी रुतबे को,
चोर बना दरबारी है।

फाइल घूम रही है जो,
लगता वो सरकारी है।

देखो आज अदालत में,
न्याय हुआ बाजारी है।

पैसा-पैसा करते सब
जाने क्या बीमारी है।
-०-
पता:

मृदुल कुमार सिंह
अलीगढ़ (अलीगढ़) 

-०-


***
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सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

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