ख़ामुशी मेरी
(गजल)
ख़ामुशी मेरी ज़बाँ है
वो मगर सुनता कहाँ है
सामने हैं आप लेकिन
आप तक रस्ता कहाँ है
जानता हूँ दुश्मनों को
फिर मुझे ख़तरा कहाँ है
छोड़िए भी मुस्कुराना
दर्द चेहरे से अयाँ है
ढूँढ़ना क्या है तुझे अब
मैं जहाँ हूँ तू वहाँ है
-०-
पता:
विज्ञान व्रत
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
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