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Tuesday, 18 February 2020

जीवन के रंग हुए बेरंग (कविता) - रीना गोयल

जीवन के रंग हुए बेरंग
(कविता)
है रंगहीन सा दिल ये मेरा क्यूँ जीवन में कोई रंग नही
वो क्यूं तन्हा सा छोड़ गये जब उनसे मेरी जंग नही ।।

वहाँ चंदा मिले चकोरी से ये खग भी कलरव करते हैं
मैं किसको अंग लगाऊँ कहो जब पी ही मेरे संग नही ।।

हो आतुर नैन पुकार रहे अविरल आँखो से धार बहे
हूँ बेकल भई पुकार करुं कोई चाह नही उंमग नही ।।


ये रैन भी पूछे बार बार क्यूं साजन तेरे आये ना
तुम सुन के भी अन्जान बने क्या उठती लहर तरंग नही ।।


ना केश सँवारु आज सखि ना कजरा कोरे नैनन में 
ये पल्लू ढलका जाये मेरा पिया बिन जीने का ढंग नही ।।
पता:
रीना गोयल
सरस्वती नगर (हरियाणा)

-०-

***
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