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Monday, 17 February 2020

★★ पलभर छोटा है ★★ (कविता) - अलका 'सोनी'

★★ पलभर छोटा है ★★
(कविता)
जिंदगी गुजर जाती यूँ ही
जीने को पलभर छोटा है

पानी का है स्वाद वही बस
कहने को गागर छोटा है

शब्दों में है जान बहुत, यह
कहने को शायर छोटा है

रहते सब मिलजुल कर इसमें
दिखता बस यह घर छोटा है

सोई हैं कितनी ही लहरें
सोचो मत सागर छोटा है

बढ़ने की हर कोशिश कर तू
कोई नहीं अवसर छोटा है

मच सकती है हलचल दिल में
क्यों देखें पत्थर छोटा है

झुक कर छोड़ो चलना जग में
कोई नहीं अब सर छोटा है

सुंदर मन हो जिसका,उसके
आगे हर जेवर छोटा है।
-०-
अलका 'सोनी'
बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)

-०-

***
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5 comments:

  1. It's really a very nice poem.👌👌💐

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  2. This poem is full of inspirations for human beings.

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  3. जिंदगी पल भार छोटा है लेकिन जीने की राह यह कविता मे दिया है हार्दिक बधाई अल्का जी

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  4. जिंदगी पल भार छोटा है लेकिन जीने की राह यह कविता मे दिया है हार्दिक बधाई अल्का जी

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