★★ पलभर छोटा है ★★
(कविता)
जिंदगी गुजर जाती यूँ ही
जीने को पलभर छोटा है
पानी का है स्वाद वही बस
कहने को गागर छोटा है
शब्दों में है जान बहुत, यह
कहने को शायर छोटा है
रहते सब मिलजुल कर इसमें
दिखता बस यह घर छोटा है
सोई हैं कितनी ही लहरें
सोचो मत सागर छोटा है
बढ़ने की हर कोशिश कर तू
कोई नहीं अवसर छोटा है
मच सकती है हलचल दिल में
क्यों देखें पत्थर छोटा है
झुक कर छोड़ो चलना जग में
कोई नहीं अब सर छोटा है
सुंदर मन हो जिसका,उसके
आगे हर जेवर छोटा है।
बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)
-०-
जीने को पलभर छोटा है
पानी का है स्वाद वही बस
कहने को गागर छोटा है
शब्दों में है जान बहुत, यह
कहने को शायर छोटा है
रहते सब मिलजुल कर इसमें
दिखता बस यह घर छोटा है
सोई हैं कितनी ही लहरें
सोचो मत सागर छोटा है
बढ़ने की हर कोशिश कर तू
कोई नहीं अवसर छोटा है
मच सकती है हलचल दिल में
क्यों देखें पत्थर छोटा है
झुक कर छोड़ो चलना जग में
कोई नहीं अब सर छोटा है
सुंदर मन हो जिसका,उसके
आगे हर जेवर छोटा है।
-०-
अलका 'सोनी'बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)
-०-
It's really a very nice poem.👌👌💐
ReplyDeleteThis poem is full of inspirations for human beings.
ReplyDeleteबेहतरीन.....
ReplyDeleteजिंदगी पल भार छोटा है लेकिन जीने की राह यह कविता मे दिया है हार्दिक बधाई अल्का जी
ReplyDeleteजिंदगी पल भार छोटा है लेकिन जीने की राह यह कविता मे दिया है हार्दिक बधाई अल्का जी
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