*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Saturday 1 February 2020

पगली (कविता) - डा. वसुधा पु. कामत (गिंडे)

पगली
(कविता)
मै पगली
फिर ने लगी
गली गली
लेके गोपाल का नाम
देखती दुनिया सारी
कहती मुझे
चली ढूँढँने
गिरधर गोपाल
कलियुग में
कभी आते है क्या
कोई देव यहाँ
ये तो पगली
घट घट मे देख रही
कृष्ण भगवान
अरे!पगली मत बन
तू मृग जैसी
उदर में रख के कस्तूरी
वन वन में ढूँढँने चली
तेरे ही हृदय में
बसे है तेरे गिरिधर गोपाल ।।
रे! पगली 
चली गली गली
लेके हरी का नाम ।
-०-
पता :
डा. वसुधा पु. कामत (गिंडे)
बेलगाव (कर्नाटक)  


-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

2 comments:

  1. अंजलि गोयल1 February 2020 at 04:16

    सुन्दर

    ReplyDelete
  2. बाह! बहुत सुन्दर कविता है आप कि बहजत बहुत बधाई है।

    ReplyDelete

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ