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Friday, 27 March 2020

मेरा देश जल रहा है (कविता) - देवकरण गंडास 'अरविन्द'

मेरा देश जल रहा है
(कविता)
भारत का हृदय जो कहलाता
वो दिल्ली आज दहक रहा है
ईर्ष्या, जलन और राजनीति से
मेरा देश आज जल रहा है।

किससे किसने क्या है छीन लिया
क्यों देश का युवा बहक रहा है
आग लगी है सारे देश में
मेरा देश आज जल रहा है।

कुछ दूषित नापाक ताकतें
घोल रही हैं जहर फिज़ा में
अब धुआँ शहर में चल रहा है
मेरा देश आज जल रहा है।


मत जलने दो, इसे रोक लो
ये मानवता खा जाएगा
फैल जाएगा गरल देश में
अरविन्द अमन नहीं हो पाएगा
इस दंगे से निकली आग में
हर नेता हाथ मल रहा है
कुछ शातिर लोगों के हाथों
मेरा देश आज जल रहा है।
-०-
पता:
देवकरण गंडास 'अरविन्द'
चुरू (राजस्थान)

-०-


***
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