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Friday, 27 March 2020

उसने अपना घर (ग़ज़ल) - विज्ञान व्रत

उसने अपना घर
(गजल)
उसने अपना घर क्या बदला 
बस्ती का ही नक़्शा बदला

रोज़ाना इक चेहरा बदला 
यानी वो फ़ैशन - सा बदला 

उसने अपना लहजा बदला 
मैंने अपना रस्ता बदला 

अरसे बाद मिला हूँ ख़ुद से 
सब लगता है बदला - बदला

भूल चुका हूँ दुश्मन को ही 
फिर क्या बदला कैसा बदला 
-०-
पता:
विज्ञान व्रत
नोएडा (उत्तर प्रदेश)


***
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