बैठकर पढ़ने लगा
(रूपमाला छंद)
बैठ कर पढ़ने लगा जब, आज कांपे हाथ
हादसा ऐसा हुआ है, कौन उसके साथ
तन जला करके उतारा, मौत के ही घाट
भेड़ियों ने लूट अस्मत, अब लगा दी वाट
आज मानवता मरी है, खोय शिष्टाचार
व्याभिचारी पाप देखो, आज अत्याचार
रो गई है आँख मेरी, रो रहे घर बार
रोज आता लाल होकर, खून से अख़बार
ना डरे कानून से भी, हो गई हद पार
मार डाले काट डाले, बंदूकें तलवार
नर्क में फिर आज डूबी, जो चली पतवार
खड़ग लेकर दौड़ आओ, शेरनी असवार
रोज ये पाखंड देखो, बिक चुका बाजार
क्यों मरा ये कर्म तेरा, धर्म का आधार
लोग कब तक चुप रहेंगे, कौन कितनी बार
मौन कैसे आज बैठी, देखती सरकार
जोधपुर (राजस्थान)
हादसा ऐसा हुआ है, कौन उसके साथ
तन जला करके उतारा, मौत के ही घाट
भेड़ियों ने लूट अस्मत, अब लगा दी वाट
आज मानवता मरी है, खोय शिष्टाचार
व्याभिचारी पाप देखो, आज अत्याचार
रो गई है आँख मेरी, रो रहे घर बार
रोज आता लाल होकर, खून से अख़बार
ना डरे कानून से भी, हो गई हद पार
मार डाले काट डाले, बंदूकें तलवार
नर्क में फिर आज डूबी, जो चली पतवार
खड़ग लेकर दौड़ आओ, शेरनी असवार
रोज ये पाखंड देखो, बिक चुका बाजार
क्यों मरा ये कर्म तेरा, धर्म का आधार
लोग कब तक चुप रहेंगे, कौन कितनी बार
मौन कैसे आज बैठी, देखती सरकार
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पता
छगनराज रावपता
जोधपुर (राजस्थान)
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