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Friday, 17 July 2020

किसम किसम के लोग (हास्य व्यंग्य) - कमलेश व्यास 'कमल'

किसम किसम के लोग

(हास्य व्यंग्य)
इन दो महीनो में जितना 'वाट्सएप' चलाया है, उतना कभी नहीं चलाया था। इससे प्राप्त ज्ञान व अनुभव के आधार पर कुछ नए किस्म के लोगों से परिचय हुआ, इन लोगों में वे शामिल नहीं हैं जो बिना नागा,तीसों दिन अलसुबह "गुड माॅर्निंग" शुभ प्रभात के किसी उपदेशात्मक संदेश को वाट्सएप पर भेजते हैं...! या वे लोग जो किसी मंदिर में स्थित मूर्ति के रोजाना दर्शन कराते हैं...! इसमें वे लोग भी शामिल नहीं हैं जो सिर्फ वाट्सएप पर मामेरे के कपड़ों की तरह आए हुए मेसेज को बगैर पढ़े बस "फारवर्ड" करते रहते हैं...ये लोग किसी के जन्मदिन, "मैरिज एनिवर्सरी" पुण्यतिथि पर भी एक शब्द कभी नहीं लिखते...सीधा किसी ओर के भेजे "मेसेज" को "काॅपीपेस्ट" कर इतिश्री कर लेते हैं...! ऐसे लोगों के बारे में पहले कई बार कहा जा चुका है...हम यहाँ चर्चा करेंगे कुछ अलहदा किस्म के इंसानो की, जो बहुतायत में हैं पर चर्चित नहीं हैं...लीजिए पेश है वाट्सएप शोध से उपजे इन किरदारों पर एक लघु शोध पत्र।

 "फुसफुसे लोग" - ऐसे लोग वाट्सएप पर सार्वजनिक रूप से संबंधित समूह में अपनी बात कदापि नहीं कहते, परंतु उक्त समूह में आए किसी विषय पर निरंतर लोगों को (व्यक्तिगत तौर पर) किसी समारोह में, कहीं मिलने पर,उनके घर पहुंच कर या मोबाइल पर बात कर उकसाते रहते हैं।  पहले तो इधर-उधर की बातें करते हैं फिर अपने लहजे को यथासंभव रहस्यमयी बनाकर उस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कानाफूसी करते हैं,और उम्मीद यह रखते हैं कि इस विषय पर आप उनके मुताबिक लिख कर वाट्सएप पर पोस्ट करें...इस प्रकार की कानाफूसात्मक बातें वें संबंधित ग्रुप से अपने हितैषी छाँट-छाँट कर निरंतर तब तक करते हैं जब तक कि वे अपने मक़सद में कामयाब नहीं हो जाते...!  इस प्रकार के लोग बेहद  घातक किस्म के होते हैं,कृपया ऐसे लोगों के फुसलाने पर कदापि न फुसलें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।

"भरभंड लोग"-  इस किस्म के लोग आगा-पीछा सोचे बिना वाट्सएप पर आए किसी मेसेज पर तुरंत व व्यापक प्रतिक्रिया करते हैं। इनके मन में जो आता है, वह लिख देते हैं। मेसेज अच्छा लगता है तो तारीफों के पुल बांध देते हैं और बुरा लगने पर सामने वाले की बखिया उखड़ने से भी परहेज नहीं करते...और  भूल जाते हैं...मन में कोई मैल नहीं रखते।   
व्यक्तिगत तौर पर ऐसे लोगों को अच्छा मानने का मन करता तो है पर इनके "भरभंड पने" से डर भी लगता है...पता नहीं कब कौन सी बात इन्हे नहीं जमें और ये वाट्सएप ग्रुप पर अपनी लू उतार दे...!

 "पनियल लोग"- इस प्रकार के लोग वाट्सएप  ग्रुप पर आए किसी मेसेज या समूह चर्चा में पक्ष-विपक्ष के बारे में बहुत सोच विचार कर अपनी प्रतिक्रिया बेहद संतुलित व "अपरिणाम मूलक" ढंग से देते हैं। तात्पर्य यह कि "राम पढ़े तो राम की जय लगे और रावण पढ़े तो रावण की जय लगे...!" तात्पर्य यह कि जैसे पानी, मदिरा में भी घुल-मिल जाता है और दूध में भी, ठीक इसी प्रकार से इनकी लिखी बातें होती है, जिसे जो पढ़े, उसको अपने पक्ष में लिखी प्रतीत हो...अतः ऐसे लोगों का विश्वास करना, अपने ही हाथों अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा लगता है...! 

किस्में तो ओर भी है पर उपरोक्त  लिखी कुछ किस्मों के अलावा साहित्यकारों,कवियों,कलाकारों,ज्ञानियों,परम ज्ञानियों को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता है। यह लघु शोध पत्र केवल साधारण मनुष्यों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
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कमलेश व्यास 'कमल'
उज्जैन (मध्यप्रदेश)
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