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Friday, 17 July 2020

घड़ा (कविता) - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'

घड़ा

(कविता)
सदियों से शीतल जल देकर प्यास बुझाता है।
घड़ा न समझो निर्धन जन का जीवन दाता है।
इसके जल में है मीठापन सौंधापन मिट्टी का-
जो भी इसके जल को पीता तृप्ति अनूठी पाता है।

जो भौतिक संसाधन पाकर इसको हैं ठुकराते।
वे इसकी संतुष्टि तृप्ति से हैं वंचित रह जाते।
जो जमीन से जुड़े लोग हैं इसका महत्व समझते-
और इसे सम्मान मान दे सिर पर हैं बैठाते।
-०-

श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
भिण्ड (मध्यप्रदेश)

-०-

***
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1 comment:

  1. आपको हार्दिक बधाई है आदरणीय सुन्दर रचना के लिये।

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