खुशहाल रहे
(मुक्तक)
बस यही मानना मेरी है अब,खाली ना कोय थाल रहे
बस यही भावना है मेरी अब,सुख पूरित हर साल रहे
'नीलम' की चाहत खुशबू से अब,महके हर इक बस्ती,
बस यही कामना है मेरी,अब हर आँगन खुशहाल रहे ।
वक्त सदा ही मधुरिम हो,अब उसकी सीधी चाल रहे
ना पॉकिट कोई खाली हो,हर अंटी में अब माल रहे
'नीलम' की है मंशा यह,अब सुखी रहे हर नर-नारी,
बस यही कामना है मेरी,अब हर आँगन खुशहाल रहे ।
-०-
डॉ. नीलम खरे
व्दारा- प्रो.शरद नारायण खरे,
मंडला (मध्यप्रदेश)
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