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Thursday, 23 July 2020

तुम और मैं (कविता) - रूपेश कुमार


तुम और मैं
(कविता)
तुम और मैं ,
शायद एक डाली के दो फुल ,
कही काँटे तो कही कली ,
कोई नाजुक तो कोई कठोर ,
कोई दर्द देता है तो कोई दर्द लेता है ,
जिवन की यही रीति है ,
कोई रो रहा है कोई हँस रहा है ,
कही खुशियाँ मन रहा है कही आसूँ बह गया है ,
जीवन मे रास्ते भी अजनबी है ,
कब कहाँ अपना मिल जायें ,
ये कोई नही जानता ,
जो रुला कर चला जायें ,
लेकिन छोड़ जाता है ,
सिर्फ यादें ,
जो ना मरने देती है ,
और ना जीने देती है ,
क्या करूँ ,
मर भी जाऊगा तो ,
याद तुम्हें कौन करेगा ,
किसको सताओगी तुम ,
कौन तुम्हारी यादों मे ,
घुट-घुट कर मरेगा ,
तुम जो हो वो और नही हो सकता ,
तुम्हारी मुस्कान , तुम्हारी चाहत ,
तुम्हारी आँखे , तुम्हारी नजरें ,
तुम्हारी खवाबों का समंदर ,
तुम्हारी खनकती चाल , प्यार ,
जो सबमे नही वो तुममें है ,
तुम हो जो कोई नहीं ,
क्या बताऊँ तम्हें मै ,
तुम मेरी आरजु हो , तुम मेरी गुस्त्जू हो ,
तुम मेरी चैन , तुम मेरी रैन ,
तुम मेरी परछाई , तुम मेरी हरजाई ,
क्या बताऊँ तुम्हें ,
तुम मेरी जिवन की जन्म हो ,
तुम मेरी जिवन की मृत्यु हो ,
क्या कहूँ जो ना ना कहूँ ,
वो सब तुम ही तुम हो !
-०-
पता:
रूपेश कुमार
चैनपुर,सीवान बिहार
-०-


***
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