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Sunday 19 July 2020

तुम (कविता) - सविता वर्मा 'ग़ज़ल'


तुम
(कविता)
तुम!
कितने सालों बाद मिले हो।
अंतस में यूँ फूल खिले हो।
जीवन को मधुमास मिला
फिर तुम्हारा अहसास मिला।
चेहरे पर हैं हंसी पुरानी
आंखों में एक नमी लिए हो।
अधरों पर स्मित सी हंसी।
तुम।
कितने सालों बाद मिले हो।।
बालो में हल्की सी चांदी
गालों पर थोड़ी सिलवट भी
चश्मा भी थोड़ा मोटा सा
वक्त कटा कितना कठिन
लेकिन दिल मे प्रीत लिए
तुम।
कितने सालों बाद मिले हो।
टूटा आज भी बटन शर्ट का
कॉलर भी कुछ मुड़ा-मुड़ा सा
घड़ी अभी भी वही पुरानी
थामे कलाई साथ निभाती
पैन जेब में हुए जमाये
अनजानी राहों पर चलके
तुम।
कितने सालों बाद मिले हो।।
दिल धड़कन धक-धक करती
साँसे भी बेकाबू सी चलती
पंख समय के लगे हों मानों
अरमानों की लिये पोटली
बिछड़े हुए पंछी बोलो कैसे
उड़कर हम तक पहुंचे हो
तुम।
कितने सालों बाद मिले हो।
यादों के बदरा भी बैरी बन
नैनों की बरसात लिये अब
उमड़-घुमड़ कर बरस रहे हैं
बात बहुत थी और शिकवे भी
किन्तु अब इतना है कहना
इन राहों पे ए राही मिलते रहना
तुम।
इतने सालों बाद मिले हो।।
-०-
पता:
सविता वर्मा 'ग़ज़ल'
मुज़फ्फरनगर (उत्तरप्रदेश)

-०-

***
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