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Sunday, 19 July 2020

विपदा में आनंद (दोहे) - डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक'


विपदा में आनंद
(पद्य-दोहे )
आज समय जो भी मिला, ले उसका आनंद।

कोरोना के काल में, सभी घरों में बंद।
आज समय जो भी मिला, ले उसका आनंद।।

गृह में ही रखी हुई, जो भी होय किताब।
बड़े प्रेम से मनन करि, ज्ञान का लें आनंद।।

बच्चों के संग खेल लें, लूडो, सीड़ी साँप।
शतरंजी के खेल में, रहें सदा आनंद।।

छोटे बच्चे हों अगर, खेलें उनके संग।
लुक्का छुप्पी खेल में, लें घर में आनंद।।

समय निकालें सोच कर, लिखें शब्द साहित्य।
मन के भाव समाय दें, कविता के आनंद।।

करले सेवा कार्य भी, मास्क  बनाएँ गेह।
बाँटे बँटवाएँ उन्हें, प्रहरी रक्षक वृंद।।
-०-
डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक'
अध्यापक एवं लेखक
अल्मोड़ा (उत्तराखंड)


***
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1 comment:

  1. हार्दिक बधाई है आदरणीय! सुन्दर रचना के लिये।

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