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Saturday, 18 July 2020

वजूद (कविता) - नेहा जैन


वजूद
(कविता)
तेरे वजूद का हिस्सा हूँ
जीवन का तेरे क़िस्सा हूँ
यही तो परिचय है मेरा
फिर क्यों तू डरता है
मुझे अपनाने से
लड़की हूँ हा लड़की हूँ
लड़की हूँ कोई पाप नही
जन्म देकर भी घ्रणा मुझसे
क्या ऐसा कोई अपराध हूँ मैं
बस पढा देना मुझको
स्कूल मुझे जाना है
और न कुछ मांगूगी
बोझ न बनूँगी तुझ पर
तेरा कर्ज चुका दूंगी
अभी मुझे बस जीने दे
पढ़लिख करकुछ बन दे

नाम करूँगी तेरा रोशन
पल वो भी आएगा
सीना तेरा चौड़ा होगा
तिरस्कर न मेरा कर
दिन वो आएगा
जब तू मुझे गले लगाएगा
मेरी बिटिया हा मेरी बिटिया
कहकर लोगों से मिलवाएगा
नाक तेरी ऊँची होगी
बनकर वो दिखलाऊँगी
अभी मुझे बस पढ़ने दे,पढ़ने दे।
-०-
पता:
नेहा जैन
ललितपुर (उत्तरप्रदेश)

-०-

***
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