कारगिल हो या गलवान
(कविता)
कारगिल हो या गलवान
सबसे पहले सैनिकों का
सम्मान
कारगिल की बुलंद
चोटियों पर जिन्होंने
शान से सोलह हज़ार
फीट की ऊंचाई पर
तिरंगा लहराया
जिन्होंने अपने लहू
बहाकर
दुश्मनों से गलवान
घाटी को है बचाया
जिसे सिर झुकाकर
पूरा देश करता है
सम्मान
कारगिल हो या गलवान
हर बाजी जीतेगा
हिन्दुस्तान।
-०-
सबसे पहले सैनिकों का
सम्मान
कारगिल की बुलंद
चोटियों पर जिन्होंने
शान से सोलह हज़ार
फीट की ऊंचाई पर
तिरंगा लहराया
जिन्होंने अपने लहू
बहाकर
दुश्मनों से गलवान
घाटी को है बचाया
जिसे सिर झुकाकर
पूरा देश करता है
सम्मान
कारगिल हो या गलवान
हर बाजी जीतेगा
हिन्दुस्तान।
-०-
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