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Monday, 31 August 2020

बहुत मुश्किल से मिलते हैं दोस्त ...... ! (कविता) - अशोक 'आनन'

बहुत मुश्किल से मिलते हैं दोस्त ...... !
( कविता )
बहुत  मुश्किल  से मिलते हैं दोस्त ज़माने में ।
सदियां  लग  जाती  हैं  उन्हें  आज़माने   में ।

पेड़  अपने  आंगन  के  तुम जो काट रहे हो -
लहू  अपना  सींचा  है हमने उन्हें पनपाने में ।

तूफां  में  हमने  जिन्हें   डूबने   से   बचाया -
उन्हें पल  भी  न लगा यारों ! हमें  डुबाने में ।

फूलों को खुशबुओं का साथ क्या मिल गया  -
बाग ने की न ज़रा देर बागवां को भुलाने में ।

झोपड़ियों से थी नफ़रत जिन आसमानों को -
उन  पर  वे  ही  लगे  हैं बिजलियाॅं गिराने में ।

व्यर्थ हैं वे गीत जो किसी का दिल न छू सकें  -
फूटना  है  कान  ही अब  उन्हें  गुनगुनाने में ।

पेट  में  जो  अंगारे  भड़क  रहे   हैं ' आनन ' -
समन्दर भी कम पड़ जाएंगे  उन्हें बुझाने में ।
-०-
पता:
अशोक 'आनन'
शाजापुर (मध्यप्रदेश)




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