यूं ना छोड़
(कविता)
ही मैने मंजिल की ओर
कदम बढाया था,
और अब राह के
कांटे देखकर,
यूं ना छोड़
मुझे तू बीच राह में।
अभी तो चलना है,
तेरे साथ ही मुझे
आखिरी कदम रखकर
गंतव्य को पाना है,
बरकरार रख, उस उत्साह
और हौसले को जिसने
ये मार्ग दिखाया था,
मेरे आत्मविश्वास!
यूं ना छोड़
मुझे तू बीच राह में।
-०-
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