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Thursday 22 October 2020

जय हिन्द! जय हिंदी! (लघुकथा) - वाणी बरठाकुर 'विभा'

 

जय हिन्द! जय हिंदी!
(लघुकथा) 
कुछ युवाओं का जुलूस देखकर परिमल आश्चर्य चकित हो गया । इस कोरोना काल में ये युवा किस विद्रोह में निकले हैं ! अरे ये क्या ! उनके दफ्तर में  ही आ रहे हैं । परिमल उन्हें अनदेखा कर फटाफट  अपनी केबिन में जाकर बैठ गया । कुछ मिनट बाद चपरासी आकर बताया, "सर , कुछ युवा आपसे मिलना चाहते हैं ।"  परिमल ने उन्हें अंदर भेजने के लिए बोला । चार युवक अंदर आए और बोले , "नमस्कार महोदय । हम तेजपुर महाविद्यालय के छात्र हैं ।" परिमल ने जवाब दिया ,"नमस्कार, आप लोग बैठिए और  बताइए कि मैं आप सभी का क्या सेवा कर सकता हूँ ! " उनमें से एक छात्र ने बताया, "महोदय,  दरअसल हम मातृभाषा तथा हिन्दी भाषा के लिए अभियान चला रहे हैं ।" परिमल ने पूछा,  "यह अभियान क्या है?" तभी उनमें से एक ने कहा,"हम आप सभी से अनुरोध करने आए हैं कि हर दफ्तर में हस्ताक्षर के साथ साथ हर कार्यालयिन कार्य में स्थानीय भाषा अथवा हिन्दी भाषा ही प्रयोग करें । अक्सर देखते हैं कि अंग्रेजी भाषा में लिखित तथ्य ही कार्यालय स्वीकार करते हैं । हम अंग्रेजी भाषा.........।" यह सुनते ही परिमल एक दम से उबल पड़ा , "मतलब आप लोग अंग्रेजी भाषा के खिलाफ विद्रोह करने आए हैं !"  तभी एक युवा बहुत ही विनम्रता पूर्वक बोला, "महोदय,  हम किसी भी भाषा के लिए विद्रोह नहीं कर रहे हैं । हमारा यह अभिप्राय भी नहीं कि हम स्थानीय भाषा तथा हिन्दी भाषा के अलावा किसी भाषा को न अपनाएं । कई भाषाओं को जानना तथा सीखना हमारे लिए गौरव की बात है । लेकिन हम दूसरों की भाषा को अपनाकर खुद की भाषा को मरने नहीं दे सकते हैं । अगर हमारी भाषा को हम नहीं आगे बढ़ाएंगे तो  कौन बढ़ाएंगा! इसलिए हम सबको बताने आए हैं कि अपनी स्थानीय भाषा और हिन्दी भाषा ही हर जगह व्यवहार हो । जाति की उन्नति की मूल भाषा ही है ।" परिमल उठकर आया और युवक की पीठ थपथपा कर कहने लगा,"वाह,  इतनी अच्छी बातें कही आपने । अपनी भाषा के प्रति समर्पण भाव देखकर मुझे खुशी हुई। नई पीढ़ी की अंग्रेजी भाषा के प्रति झुकाव है, मेरी यह धारणा तुम लोगों ने आज तोड़ दी। मैं तुम सभी के साथ यानि मातृभाषा और हिन्दी के साथ हूँ । यह अभियान सफल बने । जय हिंद जय हिन्दी। " एक साथ  सभी बोलने लगे, "जय हिंद! जय हिन्दी!! मातृभाषा की जय!!!"
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वाणी बरठाकुर 'विभा'
शोणितपुर (असम)

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