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Thursday, 26 November 2020

ढूँढते फिरोगे (कविता) - भावना ठाकर

 

ढूँढते फिरोगे

(कविता)

कसक जब साथ बिताएं हसीन लम्हों  की याद आएगी तब, 
ज़िंदगी की किताब के हर पन्नों पर हमसे वाबस्ता इश्क के फ़साने ढूँढोगे।

नादाँ मेरे महबूब अकेले में तड़पते गुज़रा हुआ ज़माना ढूँढोगे 
हम है तो वीरानियों में भी बहार ए चमन है,ना रहेंगे हम तो मौसम ए बारिश की फुहार ढूँढोगे।

जा रहे हे रुख़सत जो दे रहे हो आज अपनी महफ़िल से हंस हंसकर,
कल दिल बहलाने की ख़ातिर हमें  लगातार ढूँढोगे।

बेख़बर हो हुश्न ए रौनक के नूर से तुम, उदास रातों में इन आँखों का नशा पाने मैख़ाने की दहलीज़ ढूँढोगे

बरसों का मोह है चंद पलों की दिल्लगी नहीं भूल पाओ तो भूला देना, 
भूलाने की कोशिश में हमें और करीब पाओगे 
तब अश्क जम जाएंगे ख़्वाबगाह में रोने के बहाने ढूँढोगे।

चाहा है तुम्हें चाहत की हद से गुज़रकर हमने रोम रोम भरकर, साँस साँस छनकर,
ढूँढने पर भी जब नज़र ना आऊँगी तब मचलकर मौत के बहाने ढूँढोगे।

-०- 
पता 
भावना ठाकर
बेंगलोर (कर्नाटक)

-०-



***
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