अधूरी रही
(कविता)
“आनन्द के उन्मेष में
जीवन के अंश में
रोते हुए कंठ में
शोक के अंश में
आशा के शोर में
उन्माद के सन्तोष में
आत्मा की ग्लानि में
कर्म के मार्ग में
अधर्म और अन्याय में
बुद्धि के विचार में
अध्ययन और ध्यान में
गुरू और देव में
मैंने तुम्हें ढूंढा हैं
मैंने तुम्हें पूजा हैं
अज्ञानी के ज्ञान में भी
मैंने तुम्हें खोजा हैं
ए मेरी किताब
जीवन का सार तू
ज्ञान और अध्यात्म तू
धन और परिवार तू
प्रेम और प्रकाश तू
द्वन्द्व की अनुभूति में
जीवन का मार्ग तू
ए मेरी किताब।।"
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