(कविता)
एक लड़की चाहती है ,
आपसे थोड़ा प्यार , थोड़ी इज्जत
एक लड़की चाहती है आपसे
थोड़ा अपनापन , थोड़ी आदमियत
पर हर कोई उसे देता रहा उकूबत
हर लड़की चाहती है , कोई समझे उसे
पर हमको कहाँ है इतनी फुर्सत
हर कोई बस जिस्म से खेलने की चाह रखता हैं
और जो नहीं रखता है,वो लडक़ी के लिए होता है कुदरत
अगर कोई समझ पाया किसी लड़की को
तो आजिम है कि वो कातिब होगा
या फिर अपनी बहन,बीबी,के दर्द से मुखातिब होगा
'धीरेन्द्र"माँ की परवरिश पर सवाल नही आएगा
गर फ़ाज़िल रहोगे, एक लड़की की नजर में
किसी भी लड़की से पेश आना,तो यहीं सोचकर
कि लड़किया है तुम्हारे भी घर में ।
-०-
पता
धीरेन्द्र त्रिपाठी
सिद्देधार्शथनगर (उत्तरप्रदेश)
-०-
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