*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Saturday 12 December 2020

स्पंदित कविता (कविता) - डॉ. कुमुद बाला मुखर्जी

 

स्पंदित कविता
(कविता)
द्रवित ,संवेदित हृदय की कल्पना से , स्पंदित कविता होती है मुखरित
संवेदना की बारिश में अक्षरों की , प्रार्थना होती है अंकुरित
शब्दों की डोली उतरी पनघट पर
परछाई से रस्ता रही थी पूछ
उजाले को लीलता अंधियारा
परछाई जाने कहाँ गयी कूच
भटके शब्दों में फिर से जंग छिड़ी
अफरा - तफरी और मच गई लूट
बिछड़े अपने संगी और साथी
थे मेले - रेले सब पीछे छूट
भेजें कहाँ शब्द मधुर पाती , ऐसे अश्रु की दुनिया होती है विकसित
द्रवित ,संवेदित हृदय की कल्पना से , स्पंदित कविता होती है मुखरित 38

लताओं - वल्लरियों की गुपचुप बातें
हों शब्दों की आंखमिचौली जैसे
अँखियाँ दोनों सुख - दुख में भींगी
कौन समझे औ समझाये कैसे
गम की है झीनी - झीनी चदरिया
अब नेह निमंत्रण पढ़े वह कैसे
यही  विडंबना रही हमारी भी
रिश्तों पर आखिर बोलें तो कैसे
भ्रम में क्षितिज छूने की चाहत , किसलय से किरण होती है अनुबंधित
द्रवित ,संवेदित हृदय की कल्पना से , स्पंदित कविता होती है मुखरित

अक्षरों का हो जब मुखरित अंकुरण
शब्द -शब्द खिल उठते उमंगित होकर
मीठे - रसधारे शब्दों को गुन कर
चटखते पल्लव पे तरंगित होकर
राग - रागिनियाँ झंकृत होतीं जब
दो ज्ञान के चक्षु हर्षाते खुल कर
बातें करतीं ऋचाएँ कलियों से
फूलों से मिलतीं हँस - विहँस कर
यूँ ही रचती मधुशाला - कादंबरी , प्रेमाग्नि होती है सुप्रज्जवलित
द्रवित ,संवेदित हृदय की कल्पना से , स्पंदित कविता होती है मुखरित
-०-
पता:
डॉ. कुमुद बाला मुखर्जी
हैदराबाद (तेलंगाना)
-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ