याद फाल्गुन में आती है
(कविता)
टेसू के फूल से लदे पेड़ आमों की खुशबू और
कहीं सरसों की बयार,हवा भी कुछ रंगीन हो जाती है
हाँ तब पिया की याद भी इस फाल्गुन में आती है
हाँ रह रह कर दिल पर दस्तक दे जाती है
आँखें बार बार दरवाजे पर ही जाती है
उन्हें भी कहां अब चैन होगा आने को मन बैचेन होगा
रंगीन मौसम रंगीन नजारे रह रहकर
याद दिलाते हैं पिया साथ बिताए दिन तुम्हारे
होली में अब आना ही होगा रंगो से भिगोना ही होगा
फागुन के गीत संग मेरे झूमना ही होगा।
बिन तेरे सब सुनीं होरी, तेरे बिन फागुन भी अधुरी
टकटकी निगाहें हरपल तेरा रास्ता देखे कब आओगे
ये अँखियाँ सतरंगी सपना देखे
आ भी जाओ अब ये नैन बरस पड़ेंगे
होली में ना फागुन में.. बिन तेरे हम अब रह न सकेंगे
-०-
निक्की शर्मा 'रश्मि'
मुम्बई
मुम्बई
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