इश्क़ का फलने दो
(कविता)इश्क़ नहीं होता बदन की खूबसूरती
इश्क़ तो दिलों का पावन अहसास है।
इश्क़ में नहीं होती है पाने की ज़िद
इश्क़ में जज़्बात ही सबसे ख़ास है।
इश्क़ में निहित ही खुशियों की चाह
इश्क़ तो ख़ुदा के दर पर अरदास है।
इश्क़ दिलों का खिलाता है अरविन्द
ज्यों पुष्पों को महकाता मधुमास है।
इश्क़ को फलने फूलने दो जहान में
ज्यों कन्हैया ने खिलाया बृजरास है।
-०-
पता:
देवकरण गंडास 'अरविन्द'
चुरू (राजस्थान)
पता:
देवकरण गंडास 'अरविन्द'
चुरू (राजस्थान)
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