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Friday, 8 January 2021

रिश्तों की डोर ((कविता) - सोनिया सैनी

  

रिश्तों की डोर
(कविता)
रिश्तों की डोर थामे रखना
धूप में ,बारिश में,आंधी में
तूफ़ान में, सर छिपाने
की एक जगह बनाए रखना।

उत्तम हो,समर्पित हो,
शांत हो,निस्वार्थ हो,हर एक
ये जरूरी तो नहीं, चाहे
कच्ची ही हो, पर रिश्तों
की डोर थामे रखना।

ग़म में,खुशी में,उत्सव में
विवाह में,साथ निभायेगे यही
ऐसी एक उम्मीद कायम रखना
रिश्तों की डोर थामे रखना।

यह वो खजाना है जो
दिखता तो नहीं,पर जब
रहता नहीं तो इंसानों
की बस्ती में,अकेले पत्ते सा
उड़ा दिया जाता है।
वक्त बेवक्त सता दिया
जाता है,इसलिए ही 
सही ,रिश्तों की डोर
थामे रखना।

दिलासा झूठा ही सही
खुशी कभी झूठी ,कभी
सच्ची ही सही, पर
रिश्ता होने पर ही दिखाई
जाती है,साथ सच्चा हो
या ना हो,पर फिर भी
साथ बनाए रखना
रिश्तों की डोर थामे रखना।

अपना कहने को भी चाहिए कोई
कंधा मरने पर भी चाहिए कोई
यही सोच कर, रिश्ता बनाए रखना।

ज़िन्दगी की धूप , छाव,आंधी ,तूफ़ान
के लिए, एक कोना बनाए रखना।
रिश्तों की डोर थामे रखना।।
-०-
पता:
सोनिया सैनी
जयपुर (राजस्थान)

-०-


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