धन लक्ष्मी
(कविता)
जब दीपावली इस साल आयी,
सबको लक्ष्मीजी की फिर याद आयी।
तिजौरी से निकालकर फिर उन्हें पूजा,
ले न जाये कहीं कोई और दूजा।।
घी तेल के खूब दीपक जलाये,
साथ में मिठाई के भी थाल सजाये।
पूजा की और जोडे़ फिर हाथ,
छोड़ न देना कभी मेरा साथ।
हम करते है आपसे यही आस,
इसी तरह आते रहना हमारे पास।
किसी के पास आती हो अधिक,
तो किसी के पास कम।
इसी बात का बेचारे ग़रीबों को,
सदा रहता है ग़म।
वे कहते है कि-
अब तो हम पर तरस खाओ।
जल्दी से अब हमारे पास आ जाओ।।
-०-
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
नई चर्च के पीछे,शिवनगर कालौनी,कुंवरपुरा रोड,
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