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Wednesday 30 October 2019

खुशीयाँ रहे भरपूर (कविता) - निक्की शर्मा 'रश्मि'


1
खुशीयाँ रहे भरपूर
(कविता)
देखो कई रंगों में सजी रंगोली
दीपक संग इठलाई रंगोली
आपस में देखो बातें करते
दिल से दिल इनके भी मिलते
पूजा वंदन से हो हो जाएगें
सब के घरों के क्लेश दूर
दीपक रोशनी से जगमगाए
हर दिन खुशियां रहे भरपूर
-०-
2
मन का अंधेरा करो तुम दूर
(कविता)
दीप जलाकर सबसे पहले
मन का अंधेरा करो तुम दूर
भूल गए हो इंसानों की प्रवृत्ति
रहते हो खुद से तुम दूर
दया,ममता, प्रेम, करुणा सब
भूलकर तुम बैठे हो
इंसानों की शक्ल में क्यों
हैवानों सा तुम करते हो
मन का मैल धुल जाने दो
नफरत को भी बह जाने दो
फिर से रोशन हो जाने दो
प्रेम के दीपक जल जाने दो
-०-
निक्की शर्मा 'रश्मि' 
मुम्बई

***
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