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Sunday, 3 November 2019

गाँव में (ग़ज़ल) - अंजलि गुप्ता 'सिफ़र'


गाँव में
(ग़ज़ल)

बुढ़िया गूगल सी सयानी है अभी तक गाँव में
कहते थे सब जिसको नानी है अभी तक गाँव में

इक शजर यादों का हर घर में लगा है आज भी
सौंधी मिट्टी की निशानी है अभी तक गाँव में

बेज़ुबानों के लिए रोटी परिंदों के लिए
छत पे इक बरतन में पानी है अभी तक गाँव में

एक क्यारी से हटाकर दूसरी में रोपना
रिश्तों की ये बाग़वानी है अभी तक गाँव में

सात रंगों से रँगी हरसू फ़ज़ाएँ हैं वहाँ
और चुनर धरती पे धानी है अभी तक गाँव में

बिन बुलाये बिन बताये आते जाते हैं सभी
ख़ुशदिली से मेज़बानी है अभी तक गाँव में

नींद आ जाती थी जिसको सुनते सुनते ही 'सिफ़र'
दादा दादी की कहानी है अभी तक गाँव में
-०-
अंजलि गुप्ता 'सिफ़र'
666/11 , न्यू कैलाश नगर ,मॉडल टाउन, अम्बाला शहर, हरियाणा
-०-

***
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