*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Sunday, 22 December 2019

माँ (कविता) - डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया


माँ
      (कविता)
माँ सृष्टि पर भगवान का सर्व श्रेष्ठ सर्जन है,
‘माँ‘ शब्द में  ही सारे ब्रह्माण्ड का दर्शन है।

ममत्व का महासागर और वात्सल्य का है वैभव।
हमें वे स्नेह सरिता में स्नान कराती है सदैव !!

माँसत्य, समर्पण, सहनशीलता की वनिता है,
त्यागी, तपस्विनी, तरुवर की शालिनता है!!

वे उर उर्वरता, ऊर्जा ऊर्जित, ऊर्मिला हैं,
कुसुम-सी हृदया, करुणा की सलिला है!!

घर के सदस्य माँ के हृदय वीणा के तार है!
सबके सुख– दुःख उनके सरगम के सुर है।।

माँ के जागने से सारा गृह सजीव– सा होता है,
उनके सोने से सब-कुछ निर्जीव–सा लगता है।।

ग़म को पी के खुशियों को बाँटना माँ का कर्म है,
सबको चाहना उनके जीवन मंत्र का धर्महै।।
निस्वार्थ नेह नैन में नित बरसाती है,
प्रेम पीयूष का पेय का यमकर वाती है।।

बन के स्वयं धागा सब पुष्पों को पिरोती है!
समभाव का थाल सबको परोसती है!!

दूसरों का दर्द उनकी आहें बनती है!
सारी रात ममत्व काम रहम लगाती है।।

माँ का तन-मन-धन सबको है अर्पण।
फिर भी नहीं किया जमा किसी का समर्पण।।

पूरे श्रद्धा भाव से एक बार झुककर देखो !
माँ के चरणों में ही है जन्नत का सुख परखो !!

माँ के आशीर्वाद से नसीब भी बदल जाते हैं।
माँ के प्रेम के आगे प्रभु भी झुक जाते हैं।।
-०-
पता:
डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया
सौराष्ट्र (गुजरात)

-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ