(कविता)
आखिर कब तक चलता रहेगा मौत का ये विभत्स सिलसिला
दामिनी गुड़िया आसिफा और अब ये प्रियंका का जला शव मिला
क्यों रूक नही पा रहीं दरिन्दगी की गंभीर दास्ताने
आखिर क्यों सुरक्षित नही युवतियाँ अपने ही देश मे राम जाने
कहाँ खो गया जमाना वो जब हम खुद को पूर्ण सुरक्षित समझती थीं
छु ना पायेगा सीता का दामन कोई ये विश्वास हमारी खुशकिस्मती होती थी
पर आज मेरे देश को ना जाने ये किसकी बुरी नजर लग गयी
जनता ,भ्रष्टाचार आतंक और बलात्कार की भेंट चढ गयी
क्या हार मान कर हम सब अपनी सारी उम्मींदे छोड़ दे
कोई भी कुछ कर ना सकेगा अपनी स्वार्थ सिद्धी को छोड़ के
धिक्कार है भारत माँ के एैसे कपूतो और गद्दारों पर
जो अपनी हवस को तृप्त करते मासूमो की चिताओं पर
इन जानवरो को जीवन जीने का कोई हक नही
इन जैसों के लिये तो फाँसी की सजा भी कम रही
दोस्तों आज वक्त हमे नींद से जागने कह रहा है
स्वतंत्रता संग्राम के क्राँतिकारियों के जैसे दिन रात सेवा मे लगने कह रहा है
एै युवा पीढी तुम पर ही अपनी अंतिम उम्मींद टिकी है
उठो जागो परिचय दो वीरता का हमारी निगाहें अब तुम पर ही रूकी है
स्वतंत्रता की लड़ाई मे युवाओ ने जैसे अति उत्साह दिखाया था
अपने देशभक्ति के अप्रतिम जोश से देश को आजाद कराया था
आज फिर जरूरत उसी जोश की हिम्मत और जज्बात की
कोई उम्मीद नही सरकार से आस बँधी है सिर्फ आपसे
जागो भारत जागो मृगतृष्ना भरी इस नींद से भावी भारत जागो
देश की जर्जर होती शासनव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने जागो
माँ बीबी बहन और बेटी तुम भी आज देश सेवा मे आ खड़ी
फक्र है तुम पर भी आज तुमसे भी देश की शान ही बढी
अाखिर कब तक मासूमो की याद मे हम मोमबत्तियाँ जलाते रहेंगे
नही !बस अब और नही अब तो न्याय का डंका बजवा के रहेंगे
भारत मे व्याप्त विक्षिप्तता को जड़ से हमे मिटाना ही होगा
एक दूजे का साथी बनकर हमे शासन से टकराना ही होगा
आराम भरी जिन्दगी त्याग कर मेरे भाईयों तुम्हे अपना फर्ज निभाना ही है
ओ देश के कर्णधारो तुम्हे अपनी माँ के दूध का कर्ज चुकाना ही है
दामिनी गुड़िया आसिफा और अब ये प्रियंका का जला शव मिला
क्यों रूक नही पा रहीं दरिन्दगी की गंभीर दास्ताने
आखिर क्यों सुरक्षित नही युवतियाँ अपने ही देश मे राम जाने
कहाँ खो गया जमाना वो जब हम खुद को पूर्ण सुरक्षित समझती थीं
छु ना पायेगा सीता का दामन कोई ये विश्वास हमारी खुशकिस्मती होती थी
पर आज मेरे देश को ना जाने ये किसकी बुरी नजर लग गयी
जनता ,भ्रष्टाचार आतंक और बलात्कार की भेंट चढ गयी
क्या हार मान कर हम सब अपनी सारी उम्मींदे छोड़ दे
कोई भी कुछ कर ना सकेगा अपनी स्वार्थ सिद्धी को छोड़ के
धिक्कार है भारत माँ के एैसे कपूतो और गद्दारों पर
जो अपनी हवस को तृप्त करते मासूमो की चिताओं पर
इन जानवरो को जीवन जीने का कोई हक नही
इन जैसों के लिये तो फाँसी की सजा भी कम रही
दोस्तों आज वक्त हमे नींद से जागने कह रहा है
स्वतंत्रता संग्राम के क्राँतिकारियों के जैसे दिन रात सेवा मे लगने कह रहा है
एै युवा पीढी तुम पर ही अपनी अंतिम उम्मींद टिकी है
उठो जागो परिचय दो वीरता का हमारी निगाहें अब तुम पर ही रूकी है
स्वतंत्रता की लड़ाई मे युवाओ ने जैसे अति उत्साह दिखाया था
अपने देशभक्ति के अप्रतिम जोश से देश को आजाद कराया था
आज फिर जरूरत उसी जोश की हिम्मत और जज्बात की
कोई उम्मीद नही सरकार से आस बँधी है सिर्फ आपसे
जागो भारत जागो मृगतृष्ना भरी इस नींद से भावी भारत जागो
देश की जर्जर होती शासनव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने जागो
माँ बीबी बहन और बेटी तुम भी आज देश सेवा मे आ खड़ी
फक्र है तुम पर भी आज तुमसे भी देश की शान ही बढी
अाखिर कब तक मासूमो की याद मे हम मोमबत्तियाँ जलाते रहेंगे
नही !बस अब और नही अब तो न्याय का डंका बजवा के रहेंगे
भारत मे व्याप्त विक्षिप्तता को जड़ से हमे मिटाना ही होगा
एक दूजे का साथी बनकर हमे शासन से टकराना ही होगा
आराम भरी जिन्दगी त्याग कर मेरे भाईयों तुम्हे अपना फर्ज निभाना ही है
ओ देश के कर्णधारो तुम्हे अपनी माँ के दूध का कर्ज चुकाना ही है
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