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Tuesday, 3 December 2019

क्यों और कब (कविता) - दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'

क्यों और कब
(कविता)
अपने लिए जो करोड़ों अरबों कमाते हैं
वह पदम श्री पद्म विभूषण भारत रत्न पाते हैं
जो सबके लिए अन्न उगाता है
वह मौत का तोहफा पाता है
उसकी चर्चा दो दिन बाद बंद हो जाती है
जो सीमा पर लड़ अपनी जान गवाते हैं
पर जो देशद्रोह के बारे में नारे रोज लगाते हैं
वो टीवी पर सुर्खियों में छाए रहता है
रखता है जो स्वक्ष समाज को
वो दलित असभ्य कहलाता है
फैलाते हैं जो समाज में वैमनस्य की गंदगी
वो इज्जत दार सभ्य कहलाते हैं
अगर कोई दरिंदा किसी मासूम की
अस्मत से करता है खिलवाड़
मीडिया वालों की फ़्लैश बार-बार चमकते हैं
मगर कोई किसान फसल नष्ट होने से
या भूख से दम तोड़ता है तो
उनका फ्लैश नहीं चमकता है
महीनों हप्तों बाद कोई खबर अति है
कि कोई आत्महत्या किया है
कोई दशरथ मांझी जा छेनी हथौड़े से
पहाड़ काटकर राह है बनाता है
तो उसके छेनी हथौड़ी की आवाज
न मीडिया को सुनाई देती है ना किसी सरकार को लेकिन अगर किसी नेता अभिनेता खिलाड़ी
को जरा सी भी छींक आती है तो
मीडिया वाले तुरंत पहुंच जाते हैं
ये पता लगाने की छींक कैसे आई
सर्दी लगने से या गर्मी लगने से
छोटी सी तू-तू मैं -मैं को
ये दो समुदायों के बीच
मारपीट का नाम देकर
लोगों को बहकाते हैं
पर दो समुदाय मिलकर
कोई अच्छा काम करते हैं
तब उनकी नजर उधर नहीं जाती है
कोहरा छा जाता है
उन्हें तो टीआरपी बढ़ाने वाली
खबर चाहिए
टी. आर.पी . बढ़ाना है
जनता को उल्लू बनाना है
आखिर क्यों और कब तक
ऐसा चलता रहेगा
ऐसा चलता रहेगा

-०-पता: 
दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
-०-


***
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