सच्चाई
(कविता)
सच बोलने वाले कभी सफाई नहीं देते
नीव के पत्थर ईमारत में कहीं दिखाई नहीं देते ।
वो जो कमाता रहा जिंदगी भर अपनों के लिए
उसके बच्चे भी अब उसको अपनी कमाई नहीं देते।
कर लेती है सियासत बंद जब अपने कानों को ,
बोल उस शख्स के भीड़ में कहीं सुनाई नहीं देते ।।
पहले जो मांगा करते थे हमसे दावते हरदम ,
अब वो खफा इतने हैं कि कभी बधाई नहीं देते ।
कमी कुछ रह गई शायद अपने मकसद को पाने में ,
अपनी नाकामी का हम किसी को इल्जाम नहीं देते ।
हर एक शख्स निकाले हैं नुक्स मेरे कामों में ,
क्यों मुझे एब मेरे कहीं दिखाई नहीं देते ।
दोस्ती प्यार का पैगाम है अपनों के लिए जिसमें ,
प्यार के गुलाबों में नफरत के शूल दिखाई नहीं देते ।
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पता:
राजीव कपिल
हरिद्वार (उत्तराखंड)
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Thanks for giving space in the blog
ReplyDeleteNice sir
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