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Friday, 20 December 2019

सच्चाई (कविता) - राजीव कपिल

सच्चाई 
(कविता)
सच बोलने वाले कभी सफाई नहीं देते
नीव के पत्थर ईमारत में कहीं दिखाई नहीं देते ।

वो जो कमाता रहा जिंदगी भर अपनों के लिए
उसके बच्चे भी अब उसको अपनी कमाई नहीं देते।

कर लेती है सियासत बंद जब अपने कानों को ,
बोल उस शख्स के भीड़ में कहीं सुनाई नहीं देते ।।

पहले जो मांगा करते थे हमसे दावते हरदम ,
अब वो खफा इतने हैं कि कभी बधाई नहीं देते ।

कमी कुछ रह गई शायद अपने मकसद को पाने में ,
अपनी नाकामी का हम किसी को इल्जाम नहीं देते ।

हर एक शख्स निकाले हैं नुक्स मेरे कामों में ,
क्यों मुझे एब मेरे कहीं दिखाई नहीं देते ।

दोस्ती प्यार का पैगाम है अपनों के लिए जिसमें ,
प्यार के गुलाबों में नफरत के शूल दिखाई नहीं देते ।
-०-
पता:
राजीव कपिल
हरिद्वार (उत्तराखंड)
-०-

***
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2 comments:

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