शत शत नमन राष्ट्र का
(कविता)शत-शत नमन राष्ट्र का ,
सरहद के पहरेदारों को
शत शत नमन राष्ट्र का,
माँ के असंख्य दुलारों को
जो जिए तो शान से जिए ,
मरे तो शान से मरे
जो देश के खातिर जिए ,
देश के खातिर मरे
जिनके अरमां से सदा,
रहे माँ के अरमां बड़े
जो मुड़े ,झुके ,रूके नहीं ,
रहे हर तूफां में खड़े
शत-शत नमन राष्ट्र का,
सरहद के पहरेदारों को
मुल्क की खिदमत ही रही,
जिनकी इबादत है
शहादत से जिनकी आज,
शहादत से जिनकी आज,
आव़ाम सलामत है
मंजिल रही जिनकी,
वतन की हिफाजत है
ये जुझारू नौजवान,
मेरे वतन की ताकत हैं
शत-शत नमन राष्ट्र का,
सरहद के पहरेदारों को
शत शत नमन राष्ट्र का,
उनके उदात्त भावों को
जो चाहकर वर्चस्व राष्ट्र का,
सर्वस्व लुटा गए
मार्ग पीढ़ियों का प्रशस्त कर,
खुद को मिटा गए
चेहरा आईने में दिखाकर ,
दुश्मन को झुका गए
खातिर मां की इज्जत आबरू,
मंजिल रही जिनकी,
वतन की हिफाजत है
ये जुझारू नौजवान,
मेरे वतन की ताकत हैं
शत-शत नमन राष्ट्र का,
सरहद के पहरेदारों को
शत शत नमन राष्ट्र का,
उनके उदात्त भावों को
जो चाहकर वर्चस्व राष्ट्र का,
सर्वस्व लुटा गए
मार्ग पीढ़ियों का प्रशस्त कर,
खुद को मिटा गए
चेहरा आईने में दिखाकर ,
दुश्मन को झुका गए
खातिर मां की इज्जत आबरू,
सिर अपना कटा गए
शत-शत नमन राष्ट्र का ,
सरहद के पहरेदारों को
शत शत नमन राष्ट्र का,
प्रज्वलित अमर मशालों को
सुख सेजों से बढ़कर जिनको,
माँ की शौहरत प्यारी है
घर के गहनों से बढ़कर जिनको,
शत-शत नमन राष्ट्र का ,
सरहद के पहरेदारों को
शत शत नमन राष्ट्र का,
प्रज्वलित अमर मशालों को
सुख सेजों से बढ़कर जिनको,
माँ की शौहरत प्यारी है
घर के गहनों से बढ़कर जिनको,
माँ का मुकुट प्यारा है
माँ की कोटि-कोटि संतानों ने,
माँ की कोटि-कोटि संतानों ने,
सदा इतिहास रचाया न्यारा है
कोटि-कोटि जन-जन के मन में,
फैला अमर उजाला है
जोर जु़ल्म अब नहीं सहेंगे ,
हर मन में एक ही ज्वाला है
दुश्मन के अभिमान को अब,
जोर जु़ल्म अब नहीं सहेंगे ,
हर मन में एक ही ज्वाला है
दुश्मन के अभिमान को अब,
मिट्टी में मिलाना है
माँ की गोद में पले,हँसे हम,
माँ की गोद में पले,हँसे हम,
बहुत खूब
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