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Monday, 27 January 2020

! सरहद ! (कविता) - डॉ विनीता राहुरीकर




! सरहद !
(कविता)
लिखनी है अगर
एक मार्मिक कविता
सरहद पर तुम्हे तो
फौजी पति को विदा देती
उसकी पत्नी की आँख के
आँसुओं की स्याही
उधार मांग लेना
तब शायद तुम्हारी कविता में
सरहद का दर्द व्यक्त हो पाये....

फौजी की आँखों की थोड़ी
हताशा और बेबसी ले लेना
जब वह पलटकर
अपने परिवार को देखता है
जाते हुए सरहद पर
और सोचता है
कहीं यही जाना तो अंतिम नहीं होगा...

पता नहीं देख पायेगा या नहीं दुबारा
और आँसुओं से धुंधलाती दृष्टि में
भर लेता है उनके चेहरे दिल में....

बस इस स्याही से ही लिखी जा सकती है
सरहदों की सच्ची कहानी।।
-०-
पता :
डॉ. विनीता राहुरीकर
भोपाल (मध्यप्रदेश)
-०-

***
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