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Monday, 27 January 2020

स्मृति-शेष... (कविता) - गोविन्द सिंह चौहान


स्मृति-शेष...
(कविता)
काश! कोई ढूँढ पाता शेष रही निशानियां
इतिहास  के पन्नों पर खो चुकी कहानियां
जमीं के तहख़ानों में बिखरी पड़ी विरानियां
आलोकित होता सारा जहां,मिलती जो रवानियां।

सुरक्षित है स्मृतियों की तिज़ोरी में
जो अब लौटेंगे नहीं माँ की लोरी में।

थाल सजाकर किसको पूजें
कहाँ गये वो वीर मतवाले
कहाँ जलाएं घृतदीप याद में
कहाँ चढ़ाएं माला, गैंदा फूल।

किसी नदी के किनारे पर जाएँ या
किसी घर की छाया में
किसी कन्दरा का मुहाना देखें या
किसी पर्वत शिला की माया में
बागों के वृक्षों के नीचे ,या 
रेगिस्तान के टीलों में
कोना पूजें  पावन धरा का
हर कण में तो वीर समाये
रख दें असीम आकाश तले।

माला धूप और दीप जलाएं
कर जोड़ हम झुक जाएं
श्रद्धा सुमन रखें शीश झुकाकर
कण-कण म़ें ही वीर समझकर
स्मृति- शेष जो रह गये आज।।
-०-
गोविन्द सिंह चौहान
राजसमन्द (राजस्थान)


-०-

***
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1 comment:

  1. गोविंद सिंह जी की स्मृति शेष कविता वीरों को एक श्रद्धांजलि है । हार्दिक बधाई ।

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